पावर फैक्टर क्या है? एक्टिव, रिएक्टिव और अपेरेंट पावर की पूरा जानकारी।
नमस्ते दोस्तों आज हम बिजली के एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू पावर फैक्टर के बारे में जानेंगे। यह सिर्फ एक तकनीकी शब्द नहीं है बल्कि यह बताता है कि आपका इलेक्ट्रिकल सिस्टम कितना कुशल (Efficient) है। इस पोस्ट में हम पावर फैक्टर और उससे जुड़े सभी जरूरी कॉन्सेप्ट्स जैसे एक्टिव पावर रिएक्टिव पावर और अपेरेंट पावर को बहुत ही आसान भाषा में समझेंगे।
पावर फैक्टर क्या है?
पावर फैक्टर एक संख्या है जो 0 से 1 के बीच होती है। यह एक्टिव पावर और अपेरेंट पावर के अनुपात (Ratio) को दर्शाता है।
Power Factor = Active Power (P) / Apparent Power (S)
इसे Cos φ से प्रदर्शित किया जाता है।
अगर पावर फैक्टर 1 (Unity) हो, तो इसका मतलब है कि आपका सिस्टम पूरी तरह से कुशल है और कोई ऊर्जा बर्बाद नहीं हो रही है।
अगर पावर फैक्टर 1 से कम (Low) हो तो इसका मतलब है कि सिस्टम में ज्यादा ऊर्जा बर्बाद हो रही है, जिससे नुकसान (Losses) होते है।
एक्टिव पावर:
एक्टिव पावर को रियल पावर या ट्रू पावर भी कहते है। यह वही पावर है जो लोड द्वारा वास्तव में उपयोग (Consume) की जाती है और उपयोगी काम करती है, जैसे कि बल्ब को जलाना या मोटर को चलाना। इसका सिंबल P है और यूनिट वाट (W)।
यह हमेशा सोर्स (Source) से लोड (Load) की ओर प्रवाहित होती है। यह हमेशा पॉजिटिव होती है।
EX. एक 100 वाट का बल्ब 100 वाट एक्टिव पावर का उपयोग करता है।
रिएक्टिव पावर:
यह वह पावर है जो सर्किट में चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) बनाने के लिए उपयोग होती है। यह पावर लगातार सोर्स और लोड के बीच आगे पीछे होती रहती है और कोई उपयोगी काम नहीं करती।
इसका सिंबल Q है और यूनिट VAR (वोल्ट एम्पीयर रिएक्टिव) है।
यह पॉजिटिव और निगेटिव दोनों हो सकती है। यह उपयोगी काम नहीं करती लेकिन इफेक्टिव लोड (जैसे मोटर) के लिए यह जरूरी होती है।
अपेरेंट पावर:
यह एक्टिव पावर और रिएक्टिव पावर का कुल जोड़ (Combination) है। यह वह कुल पावर है जो सोर्स से भेजी जाती है।
सूत्र - S = √(P² + Q²)
यूनिट VA (वोल्ट - एम्पीयर)
Ex. अगर किसी सर्किट में एक्टिव पावर 1000W है और रिएक्टिव पावर 500VAR है तो अपेरेंट पावर = √(1000² + 500²) होगी।
इलेक्ट्रिकल लोड के प्रकार
इलेक्ट्रिकल लोड के आधार पर पावर फैक्टर बदलता है।
रजिस्टिव लोड (Resistive Load):
ये वो उपकरण है जो बिजली को गर्म में बदलते है।
Ex. बल्ब, हीटर, इलेक्ट्रिक आयरन।
इनका पावर फैक्टर 1 (Unit) होता है।
इंडक्टिव लोड (Inductive Load):
इस में कॉइल या वाइंडिंग होती है जो चुंबकीय क्षेत्र बनती है।
Ex. मोटर, पंखा, ट्रांसफार्मर।
इनका पावर फैक्टर लैगिंग (Lagging) या 1 से कम होता है।
कैपेसिटिव लोड (Capacitive Load):
इसमें कैपेसिटर होता है जो चार्ज को स्टोर करता है।
Ex. कैपेसिटर बैंक।
इनका पावर फैक्टर लैंडिंग (Leading) या 1 से कम होता है।
पावर ट्रायंगल क्या है?
पावर ट्रायंगल एक्टिव रिएक्टिव और अपेरेंट पावर के बीच के संबंध को ग्राफिक रूप से दिखाता है।
बेस: एक्टिव पावर (P)
परपेंडिकुलर: रिएक्टिव पावर (Q)
हाइपोटेन्यूज: अपेरेंट पावर (S)
यह ट्रायंगल एक समकोण त्रिभुज (Right Angled Triangle) होता है,
जहां एंगल (φ) ही पावर फैक्टर (Cos φ) को दर्शाता है।
लो पावर फैक्टर के नुकसान और इसे कैसे सुधारे?
नुकसान:
ज्यादा बिजली का बिल।
वायरिंग और उपकरणों में ऊर्जा की बर्बादी।
वोल्टेज में गिरावट।
सुधार:
पावर फैक्टर को सुधारने के लिए कैपेसिटर बैंक (Capacitor Bank) का उपयोग किया जाता है। ये रिएक्टिव पावर को कम करता है और पावर फैक्टर को 1 के करीब लाते है।